धर्म के नाम पर मासूमों का उत्पीड़न बंद हो-साधू शरन आर्य
बस्ती । भारतीय दलित वर्ग संघ के राष्ट्रीय सचिव साधू शरन आर्य ने शुक्रवार को जिलाधिकारी के प्रशासनिक अधिकारी के माध्यम से राष्ट्रपति को ज्ञापन भेजा। ज्ञापन में कहा गया है कि देश में बाल श्रम नियमों का खुला उल्लंघन कर बालकों और बेटियों से बाल श्रम कराया जा रहा है। चाय की दूकानों, होटलों व अधिकारियोें, सम्पन्न लोगों के घरों तक में मासूम बच्चे काम करते मिल जायेंगे। पढने लिखने की उम्र में देश के लाखों बच्चों का बचपन श्रम करते हुये बीत रहा है। सड़कों के आस पास कई बच्चे कूडा बीनते मिल जाते हैं। इस पर तंत्र पूरी तरह से चुप्पी साधे हुये हैं। यही नहीं ईट भट्टों तक पर बाल मजदूरी कराया जाना आम बात है।
राष्ट्रपति को भेजे ज्ञापन में साधू शरन आर्य ने कहा है कि साधु संतों का धर्म है कि वे भी नियम कानूनों का पालन करें और यदि कोई बालक, बालिका को उनके परिजन स्वेच्छा से साधू, सन्यासी बनवाना चाहते हो तो उसे कम से कम बालिग होने तक रोका जाय। साधू शरन आर्य ने कहा कि एक समय था जब लोग संकट के समय खुद को बेच देते थे। बड़े प्रयासों के बाद इस पर कुछ अंकुश जरूर लगा किन्तु अब तरीके बदल गये हैं। प्रयागराज के कुंभ मेले में एक दम्पत्ति संदी सिंह धाकडे और रीमा ने अपनी अव्यस्क पुत्री राखी को जूना अखाड़े को दान कर दिया। यह समाचार विचलित कर देने वाला है। एक तरह से दम्पत्ति ने अपनी ही पुत्री के मानवाधिकारों का खुला उल्लंघन किया है। अच्छा हो कि जूना अखाडा स्वयं राखी को उसके माता पिता के सुपुर्द कर दे। यदि राखी सन्यासिनी बनने की इच्छुक भी हो तो भी बालिग होने तक प्रतीक्षा किया जाय। मांग किया कि प्रदेश सरकार इसे संज्ञान में ले और बाल श्रम एवं उत्पीड़न रोकने की दिशा में प्रभावी कदम उठाये।
ज्ञापन सौंपने वालों में अर्जक समाज के राष्ट्रीय संयोजक गौरीशंकर, भीम युवा वाहिनी के राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनू राव, भारतीय बौद्ध महासभा के मण्डल अध्यक्ष राम शंकर निराला, हेमन्त कुमार, सन्त कुमार, राम कुमार, का. रामलौट आदि शामिल रहे।
बस्ती । भारतीय दलित वर्ग संघ के राष्ट्रीय सचिव साधू शरन आर्य ने शुक्रवार को जिलाधिकारी के प्रशासनिक अधिकारी के माध्यम से राष्ट्रपति को ज्ञापन भेजा। ज्ञापन में कहा गया है कि देश में बाल श्रम नियमों का खुला उल्लंघन कर बालकों और बेटियों से बाल श्रम कराया जा रहा है। चाय की दूकानों, होटलों व अधिकारियोें, सम्पन्न लोगों के घरों तक में मासूम बच्चे काम करते मिल जायेंगे। पढने लिखने की उम्र में देश के लाखों बच्चों का बचपन श्रम करते हुये बीत रहा है। सड़कों के आस पास कई बच्चे कूडा बीनते मिल जाते हैं। इस पर तंत्र पूरी तरह से चुप्पी साधे हुये हैं। यही नहीं ईट भट्टों तक पर बाल मजदूरी कराया जाना आम बात है।
राष्ट्रपति को भेजे ज्ञापन में साधू शरन आर्य ने कहा है कि साधु संतों का धर्म है कि वे भी नियम कानूनों का पालन करें और यदि कोई बालक, बालिका को उनके परिजन स्वेच्छा से साधू, सन्यासी बनवाना चाहते हो तो उसे कम से कम बालिग होने तक रोका जाय। साधू शरन आर्य ने कहा कि एक समय था जब लोग संकट के समय खुद को बेच देते थे। बड़े प्रयासों के बाद इस पर कुछ अंकुश जरूर लगा किन्तु अब तरीके बदल गये हैं। प्रयागराज के कुंभ मेले में एक दम्पत्ति संदी सिंह धाकडे और रीमा ने अपनी अव्यस्क पुत्री राखी को जूना अखाड़े को दान कर दिया। यह समाचार विचलित कर देने वाला है। एक तरह से दम्पत्ति ने अपनी ही पुत्री के मानवाधिकारों का खुला उल्लंघन किया है। अच्छा हो कि जूना अखाडा स्वयं राखी को उसके माता पिता के सुपुर्द कर दे। यदि राखी सन्यासिनी बनने की इच्छुक भी हो तो भी बालिग होने तक प्रतीक्षा किया जाय। मांग किया कि प्रदेश सरकार इसे संज्ञान में ले और बाल श्रम एवं उत्पीड़न रोकने की दिशा में प्रभावी कदम उठाये।
ज्ञापन सौंपने वालों में अर्जक समाज के राष्ट्रीय संयोजक गौरीशंकर, भीम युवा वाहिनी के राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनू राव, भारतीय बौद्ध महासभा के मण्डल अध्यक्ष राम शंकर निराला, हेमन्त कुमार, सन्त कुमार, राम कुमार, का. रामलौट आदि शामिल रहे।